मनोज कुमार शर्मा
Patna: पिछले महिने तक बिहार में SIR (Special Intensive Revision)को लेकर बहुत शोर हुआ। विपक्ष ने मतदाताओं के सूची के लिये हुये इस विशेष गहन पुनर्रीक्षण को एक षडयंत्र बताया था और इसके टाइमिंग को लेकर भी घोर विरोध था. हालांकि कोर्ट ने कुछेक सवालों के साथ एसआइआर को सही ठहराया और अंतत: 47 लाख वोटरों को बिहार के मतदाता सूची से हटा दिया गया. बिहार में जहां पिछली बार एनडीए और महागठबंधन को बराबर प्रतिशत में वोट मिले थे वहां 3 प्रतिशत से ज्यादा वोटरों का कम हो जाना किसी एक गठबंधन को बड़ा नुकसान या फायदा पहुंचा सकता है.
चुनाव आयोग के अनुसार मतदाता सूची से हटाये गये 47लाख वोटरों में मृत , अन्य राज्यों में जाकर बसे, घुसपैठिये और दो जगह वोटर लिस्ट में नाम वाले हैं. बिहार से बाहर जाने वालों में सिर्फ मजदूर वर्ग के लोग ही नहीं हैं जैसा की बताया जाता है, बल्कि लाखो मध्यवर्गीय लोग बिहार से झारखंड समेत देश के महानगरों और अन्य राज्यों में नौकरी/व्यवसाय के लिये जाकर बस चुके हैं और वहीं के वोटर बन गये हैं. इनका अब बिहार के अपने पैतृक गांव से नाता न के बराबर है. ये लोग अब सिर्फ पर्व् त्यौहारों शादी विवाह जैसे आयोजनों पर ही बिहार का रूख करती है. वहीं बिहार से बाहर रह रहे मजदूरों कामगारों की आबादी का कुछ प्रतिशत अभी भी चुनावों के समय वोट देने के लिये बिहार अपने गांव का रूख करता है और एकमुश्त वोट किसी के पक्ष में देता है.
बिहार में SIR पर विपक्ष का प्रचंड विरोध राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है और इसके अन्य राज्यों में होने की बात पर महागठबंधन की पार्टियां अभी से ही मुखर हैं. बंगाल में विशेष गहन पुनर्रीक्षण की बात पर ममता बनर्जी ने तो धमकी दे दी है कि बंगाल में अगर SIR हुआ तो दंगे होंगे, वहीं लालू यादव से लेकर राहुल गांधी भी इसका पुरजोर विरोध कर चुके हैं. वह SIR को निष्पक्ष नहीं मानते. विपक्ष के विरोध से एक बात स्पष्ट है कि उसे SIR से अपने वोटरों के नुकसान होने की चिंता है. तकरीबन पूरा विपक्ष SIR के खिलाफ है और इसे निर्वाचन आयोग के माध्यम से केंद्र का षडयंत्र बता रहा है. केंद्र सरकार के घुसपैठिये, बांगलादेशी या रोहिंग्या वोटरों के होने की दलील पर विपक्ष यह मांग भी कर चुका है कि बतायें कि SIR में कितने विदेशी घुसपैठिये अवैध वोटर के रूप में पकड़े गये?
नियमत: देश में SIR होते रहे हैं और इससे बाहर जा चुके, मृतक, दो जगहों से मतदाता सूची वालों को हटाया जाता है. कुछ सालों पहले कांग्रेस ने स्वयं इसके पक्ष में अपना रूख दिखाया था. फिलहाल यह तय नहीं है कि SIR से कम हुये वोटरों से किसे नफा नुकसान होगा ? लेकिन इससे विपक्ष बेचैन है और यह जीत हार में बहुत बड़ा रोल निभायेगा.
