New delhi: नीति के अनुसार तबादला नही होने के वजह से एक ही पद पर लंबे समय जमे अधिकारी भ्रष्टाचार बढ़ाते है. कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय पर संसदीय स्थायी समिति ने कहा है कि अधिकारियों के लंबे समय तक एक ही पद पर बने रहने से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है. लिहाजा नीति के अनुसार तत्काल सभी तबादले किए जाने चाहिए और कोई भी अधिकारी किसी भी मंत्रालय में निर्धारित समय सीमा से अधिक नहीं रहे.अधिकारियों के लंबे समय तक एक ही जगह पदस्थ रहने से भ्रष्टाचार बढ़ता है और इसके लिए उपाय किए जाने चाहिए कि वे किसी भी मंत्रालय में समय सीमा से अधिक न बने रहें. संसद में पेश अपनी 145वीं रिपोर्ट में कहा कि सभी अधिकारियों के लिए ‘बारी-बारी से स्थानांतरण’ की नीति रही है, लेकिन इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया जा रहा है.
रिपोर्ट में कहा कि ऐसे अधिकारी भी हैं जो अनुकूल स्थानों पर 8-9 वर्षों से अधिक समय से तैनात हैं, विशेष रूप से आर्थिक एवं संवेदनशील मंत्रालयों में, जबकि संगठनों के प्रमुखों को चार-पांच बार बदला जा चुका है. इस प्रवृत्ति का आकलन किया जाना चाहिए. ऐसे उदाहरण सामने आए हैं जहां अधिकारियों ने ‘अपनी तैनाती में इस तरह से चतुराई दिखाई है कि उनका पूरा कार्यकाल एक ही मंत्रालय में रहा है और इसलिए ऐसी खामियों को बिना किसी देरी के दूर किया जाना चाहिये.
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) से संबंधित अनुदान मांगों (2025-26) पर 27 मार्च को संसद में पेश अपनी 145वीं रिपोर्ट में समिति ने कहा कि सभी अधिकारियों के लिए एक रोटेशन नीति रही है, लेकिन इसे पूरी तरह लागू नहीं किया जा रहा. ऐसे भी अधिकारी हैं जो अनुकूल मंत्रालयों या स्थानों पर आठ-नौ वर्षों से अधिक समय से तैनात हैं, खासकर आर्थिक एवं संवेदनशील मंत्रालयों में. ये अधिकारी संगठन प्रमुखों के चार-पांच बार बदल जाने के बावजूद अपने पद पर बने हुए हैं. इस प्रवृत्ति का आकलन किया जाना चाहिए.
समिति ने यह टिप्पणी केंद्रीय सचिवालय सेवाओं (सीएसएस) और केंद्रीय सचिवालय आशुलिपिक सेवाओं (सीएसएसएस) के कामकाज की समीक्षा करते समय की, जो केंद्रीय सचिवालय के कामकाज का मुख्य आधार हैं. समिति के संज्ञान में लाया गया है कि खासकर सीएसएस एवं सीएसएसएस में सभी राजपत्रित अधिकारेयों को संवेदनशील और गैर-संवेदनशील पेस्टिंग के आधार पर रोटेट किया जाता है. संवेदनशील स्थानों पर अधिकारियों को तीन वर्षों के बाद बदल दिया जाता है. इसी तरह मंत्रालयों को भी आर्थिक और गैर-आर्थिक के रूप में वर्गीकृत किया गया है. वित्त मंत्रालय में ऐसे विभाग हैं, जिन्हें आर्थिक और गैर-आर्थिक के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
