Patna: बिहार का गौरव ‘सुधा’ अब वैश्विक पहचान बनाने की राह पर है। कॉम्फेड (बिहार स्टेट मिल्क को-ऑपरेटिव फेडरेशन) के इस ब्रांड ने न सिर्फ देश के विभिन्न राज्यों में अपनी धाक जमाई है, बल्कि अमेरिका और कनाडा जैसे विकसित देशों में भी अपने उत्पादों की आपूर्ति शुरू कर दी है. इन दोनों ही देशों में इसके उत्पाद काफी पसंद भी किए जा रहे हैं. कॉम्फेड अब मध्य पूर्व के देशों और सिंगापुर में भी सुधा उत्पादों को भेजने की तैयारी कर रहा है.
कॉम्फेड ने बीते मार्च में सुधा घी (1, 5 और 10 किग्रा पैक), मखाना (250 ग्राम पैक) और गुलाब जामुन (1 किग्रा पैक) को अमेरिका और कनाडा निर्यात किया, जहां इनकी अच्छी-खासी मांग देखी गई है. इस सफलता से उत्साहित होकर कॉम्फेड ने यूएई, सऊदी अरब और सिंगापुर जैसे बाजारों में प्रवेश की योजना बनाई है.

नालंदा और बरौनी स्थित डेयरी प्लांट्स अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप अपग्रेड

नालंदा और बरौनी स्थित डेयरी प्लांट्स को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप अपग्रेड किया गया है, ताकि वैश्विक बाजार की जरूरतों को पूरा किया जा सके. इसके लिए ISO, FSSAI, BIS और CAS मानकों का पालन कर उत्पादों की शुद्धता सुनिश्चित की जा रही है. आने वाले दिनों में विदेशों में ब्रांडिंग के लिए सोशल मीडिया और डिजिटल मार्केटिंग पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा.

महानगरों में भी है इसकी मांग

कॉम्फेड ने अपने विस्तार की रणनीति के तहत बिहार के साथ-साथ झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दिल्ली-एनसीआर और पूर्वोत्तर राज्यों में अपने उत्पादों की आपूर्ति शुरू की है. कोलकाता और दिल्ली जैसे महानगरों में सुधा दूध और उसके उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है. देश के अन्य राज्यों के बाजारों में भी कॉम्फेड अपनी उपस्थिति को दर्ज कराने की कोशिश कर रहा है. जल्द ही अन्य राज्यों में भी सुधा के उत्पाद मिलने लगेंगे.

प्रतिदिन 23 लाख लीटर दूध का कर रहा संग्रहण

कॉम्फेड आज 14 लाख से अधिक किसानों से जुड़कर प्रतिदिन 23 लाख लीटर दूध का संग्रहण कर रहा है और 54.5 लाख लीटर प्रतिदिन की प्रसंस्करण क्षमता के साथ देश के अग्रणी डेयरी संगठनों में शामिल हो गया है. कॉम्फेड प्रतिदिन 20 लाख लीटर दूध और दुग्ध उत्पादों का कारोबार करता है, जिसमें 17 लाख लीटर तरल दूध और 3 लाख लीटर दही, पनीर, मिठाई जैसे उत्पाद शामिल हैं. कॉम्फेड का लक्ष्य 2025 तक दैनिक दूध संग्रहण को 30 लाख लीटर तक पहुंचाने का है.
डेयरी उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि सुधा की यह यात्रा सहकारिता और स्थानीय उद्यमिता की मिसाल है. बिहार के गांवों से शुरू हुआ सफर आज अमेरिका तक पहुंच चुका है. किसानों को उचित मूल्य और उपभोक्ताओं को शुद्ध उत्पाद देने के संकल्प ने कॉम्फेड को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है. आगे की राह और भी उज्ज्वल दिख रही है.

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