Patna : बिहार सरकार की जीविका परियोजना महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्यरत है. वर्ष 2006 में शुरू हुई इस योजना के तहत महिलाओं को विभिन्न प्रकार के कौशलों का प्रशिक्षण दिया जाता है. वर्तमान में 10 लाख 12 हजार जीविका दीदियां स्वास्थ्य सेवाओं में अपना योगदान दे रही हैं. ये दीदियां स्वास्थ्य मित्र के रूप में कार्य कर रही हैं. जन औषधि केंद्र चला रही हैं और स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही हैं.
बिहार में जीविका दीदियों के सहयोग से 45 स्वास्थ्य सहायता केन्द्र संचालित हो रहे हैं. ये सभी केंद्र मरीजों को उचित चिकित्सा उपलब्ध कराने में अहम योगदान दे रहे हैं. बड़ी बात ये है कि बिहार के सीतामढ़ी, नालंदा और गोपालगंज सदर अस्पताल में जीविका दीदियां प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र भी संचालित कर रही हैं. जहां सस्ती और गुणवक्तायुक्त दवाइयां उपलब्ध करायी जा रही है. वहीं, बक्सर जिले में पौध आधारित जैविक सेनेटरी नैपकिन निर्माण इकाई संचालित है. प्रशिक्षित जीविका दीदियां गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए जागरूकता अभियान चला रही हैं और सही चिकित्सा सेवाएं दिलाने में मदद कर रही हैं. सीतामढ़ी, नालंदा और गोपालगंज सदर अस्पताल में जीविका दीदियां चला रही हैं.
गौरतलब है कि जीविका राष्ट्रीय स्तर पर सामुदायिक संगठन निर्माण एवं स्वास्थ्य, संपोषण एवं स्वच्छता के लिए राष्ट्रीय संसाधन संगठन (नेशनल रिसोर्स ऑर्गेनाइजेशन) के रूप कार्यरत है. जीविका परियोजना के तहत अब तक 10.63 लाख स्वयं सहायता समूहों का गठन हुआ है. जिससे 1 करोड़ 35 लाख से अधिक परिवारों को जोड़ा गया है.

सफलता की कहानी

फिलहाल बिहार सरकार की जीविका परियोजना के माध्यम से प्रदेश की कई महिलाएं कामयाबी के झंडे बुलंद कर रही हैं. इन्हीं में से एक हैं कटिहार की मनीषा कुमारी. ये स्वास्थ्य मित्र बनकर लोगों को उपचार संबंधी सेवाएं दे रही हैं. इससे उन्हें प्रति माह 12 हजार 675 रुपये मानदेय प्राप्त हो रहा है. मनीषा कुमारी को एम्स, पटना से प्रशिक्षण और स्वास्थ्य विभाग की ओर से सदर अस्पताल में कार्यालय उपलब्ध कराया गया है. मनीषा ने अब तक हजारों मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करायी हैं. इनकी मदद से प्रदेश स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत और बेहतर हुई हैं.

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