Ranchi: स्थानीय अधिकारियों की मदद से संचालित एक संगठित रैकेट का ईडी ने पहचान किया है. जो बंगाल-झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय है. बंगाल और झारखंड पुलिस के अवैध कोयला तस्करी के मामले में दर्ज एफआईआर के आधार पर ईडी की जांच कर रही है. कोयला तस्करी मुख्य रूप से बंगाल और झारखंड के बीच संचालित होती है. एफआईआर से पता चला है कि बंगाल-झारखंड सीमा पर एक विशाल नेटवर्क चल रहा है, जो बिना किसी वैध दस्तावेजों के झारखंड से बंगाल में कोयले की अवैध आपूर्ति में शामिल है. तलाशी के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों और अन्य रिकॉर्ड ने एफआईआर में लगाए गए आरोपों की पुष्टि की है और स्थानीय अधिकारियों की मदद से संचालित एक संगठित रैकेट की पहचान भी की है. इससे पता चला है कि सिंडिकेट बंगाल और झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में बहुत सक्रिय है और अपराध से बड़ी आय अर्जित की है. इसके अलावा, अवैध नकदी संग्रह और उनके लाभार्थियों का विवरण रखने वाली विभिन्न डायरियां और रजिस्टर भी बरामद किए गए हैं.

14 करोड़ से अधिक नगद, ज्वेलरी के साथ सिडिकेंट से जुड़े दस्तावेज बरामद

ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने बड़े पैमाने पर कोयले के अवैध खनन, चोरी, परिवहन, भंडारण और बिक्री के संबंध में बंगाल और झारखंड में 44 ठिकाने पर तलाशी लिया. तलाशी के दौरान, 14 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी, ज्वेलरी, साथ ही कोयला सिंडिकेट से जुड़े विभिन्न संपत्ति के दस्तावेज, भूमि की खरीद-बिक्री से संबंधित समझौते, कई डिजिटल उपकरण, उक्त व्यक्तियों द्वारा नियंत्रित संस्थाओं की लेखा-बही आदि सहित पर्याप्त मात्रा में आपत्तिजनक साक्ष्य बरामद किया गया है.

बंगाल-झारखंड के 44 ठिकाने पर 100 अधिक अधिकारी एक साथ दी दबिश

बिहार-झारखंड के 44 ठिकाने पर ईडी के 100 से अधिक अधिकारी सीआरपीएफ कर्मियों के साथ शुक्रवार को दबिश दी. झारखंड के धनबाद और दुमका में लाल बहादुर सिंह, अनिल गोयल, संजय खेमका, अमर मंडल, उनकी कंपनियों और संबंधित व्यक्तियों से 20 ठिकाने शामिल है. जबकि बंगाल के दुर्गापुर, पुरुलिया, हावड़ा और कोलकाता में 24 ठिकाने पर दबिश दी. बंगाल में नरेंद्र खड़का, कृष्ण मुरारी कयाल, युधिष्ठिर घोष, राज किशोर यादव, लोकेश सिंह, चिन्मय मंडल, नीरद बरन मंडल और अन्य से जुड़े विभिन्न आवासीय परिसरों, कार्यालयों, अवैध टोल संग्रह बूथों और कोक संयंत्रों में तलाशी ली गई.

 

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