Patna: राज्य के युवाओं को स्वरोजगार मुहैया कराकर स्वालंबी बनाने में मुख्यमंत्री उद्यमी योजना विशेष भूमिका निभा रही है. राज्य के शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए यह आत्मनिर्भरता की राह खोल रहा है. 2018 से शुरू हुई इस योजना का उद्देश्य शिक्षित युवाओं को स्वरोजगार एवं उद्यमिता के प्रति प्रोत्साहित करना है. इसकी मदद से युवा अपने लिए रोजगार सृजित करने के साथ ही दूसरों को भी रोजगार देने में सक्षम बन रहे हैं.
यह योजना समाज के विभिन्न वर्गों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है. और अब यह बिहार की आर्थिक विकास रणनीति का एक महत्वपूर्ण आधार स्तंभ बन गई है. इसके तहत सरकार का मुख्य उद्देश्य सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को बढ़ावा देना है. साथ ही, यह योजना उन समस्याओं का समाधान करती है. जो युवाओं को बैंक ऋण लेने में बाधक बनती हैं. जैसे कि बंधक सुरक्षा और मार्जिन मनी की कमी. और शिक्षित बेरोजगार युवाओं में उद्यमिता एवं स्वरोजगार को प्रोत्साहित करना है. इस योजना के तहत अबतक 43049 लाभुक लाभान्वित हुए हैं. और 3035.54 करोड़ रुपये राशि का वितरण हो चुका है.
योजना के तहत वित्तीय सहयोग की पूरी संरचना
मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत योग्य लाभार्थियों को अधिकतम 10 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाती है. इसमें अधिकतम 5 लाख रुपये तक का ब्याज मुक्त ऋण शामिल है. जबकि शेष 5 लाख रुपये अनुदान के रूप में तीन किश्तों में प्रदान की जाती है. अगर लाभार्थी मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के अंतर्गत आता है. तो उसे 1 प्रतिशत की न्यूनतम ब्याज दर पर ऋण दिया जाता है. जिसकी वसूली 84 सामान्य किस्तों में बिहार स्टार्टअप फंड ट्रस्ट के माध्यम से की जाती है.
योजना का लाभ लेने के लिए ये योग्यताएं जरूरी
इस योजना का लाभ लेने के लिए कुछ जरूरी योग्यताएं निर्धारित की गई हैं. आवेदक बिहार का स्थायी निवासी होना चाहिए. वह 12वीं, आईटीआई, पॉलिटेक्निक डिप्लोमा या इसके समकक्ष कोई शिक्षा हासिल कर रखी हो. लाभार्थी की आयु 18 से 50 वर्ष के बीच होनी चाहिए.
रोजगार के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था हो रहा है मजबूत: मंत्री
उद्योग विभाग के मंत्री नीतीश मिश्रा ने कहा उद्यमिता के क्षेत्र में बिहार की एक नई पहचान बनती जा रही है. सूबे के ग्रामीण अंचलों में बड़ी संख्या में बेरोजगारी है. यह योजना रोजगार सृजन करने के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी पूरी तरह से मजबूत करने में खासतौर से योगदान दे रही है.
