Patna: बिहार ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम योजना (पीएमईजीपी) के अंतर्गत उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है. इस योजना के क्रियान्वयन में देश में बिहार ने तीसरा स्थान हासिल की है. पहले स्थान पर जम्मू-कश्मीर और दूसरे स्थान पर तमिलनाडू है.
सूबे ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्रदेशभर से 35 हजार 406 लोन लेने के लिए आवेदन आए. इन आवेदनों को उद्योग विभाग की तरफ से बैंक को भेजे गए, जिनमें 8 हजार 77 आवेदनों को स्वीकृति प्रदान की गई है. स्वीकृत किए गए इन आवेदनों के अंतर्गत 14 हजार 899 लाख रुपये की राशि स्वीकृति प्रदान की गई है.

स्वीकृति प्रदान करने में बिहार देश में अव्वल

बिहार को पीएमईजीपी आवेदनों की जांच स्वीकृति प्रदान करने में देश में पहला स्थान प्राप्त हुआ है. जबकि आवेदन स्वीकृति के मामले में राज्य तीसरे स्थान पर रहा. सबसे खास बात यह रही कि बिहार ने 115 प्रतिशत की सैंक्शन दर हासिल की है. जो योजना के सफल क्रियान्वयन को दर्शाता है.

20 से 50 लाख रुपये तक मिलता ऋण

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम योजना का उद्देश्य बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना है. इसके तहत उन्हें स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के लिए 20 लाख से 50 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराया जाता है. योजना में आवेदन करने के लिए व्यक्ति की आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए. आवेदनकर्ता की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 8वीं पास होनी चाहिए. वैसे युवा इस योजना के पात्र नहीं होंगे, जिन्होंने पूर्व में किसी सरकारी ऋण सब्सिडी का लाभ प्राप्त किया हो.

योजना का लाभ नए प्रोजेक्ट के लिए दिया जाता

इस योजना का लाभ नए प्रोजेक्ट के तहत ही खासतौर से लिया जाता है. पहले से चल रही परियोजनाओं को इसमें शामिल नहीं किया जाता है. इस योजना के अंतर्गत सामान्य कोटि के लाभार्थियों को शहरी क्षेत्र में 15 प्रतिशत तथा ग्रामीण क्षेत्र में 25 प्रतिशत के अनुदान लाभ मिलता है. आरक्षित वर्ग जैसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, महिला, अल्पसंख्यक एवं दिव्यांगजनों को शहरी क्षेत्र में 25 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र में 35 प्रतिशत तक का लाभ दिया जाता है.

उद्योग विभाग के मंत्री नीतीश मिश्रा ने कहा:

पीएमईजीपी योजना के क्रियान्वयन में बिहार का देश में तीसरा स्थान आना गर्व की बात है. साथ ही यह इस बात का भी परिचायक है कि सूबे के युवा बड़ी संख्या में इससे लाभ प्राप्त करके स्वरोजगार को अपना रहे हैं. युवाओं को स्वालंबी बनाते हुए रोजगार मुहैया कराने में यह बेहद कारगर साबित हो रहा है.

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