Patna: कोशी प्रमंडल के तीन जिले सहरसा मधेपुरा और सुपौल बाढ क्षेत्र के जिले हैं. यहां तकरीबन हर वर्ष कम ज्यादा बाढ आती है. यहां की जनता का मानना है कि कोशी (कौशिकी) मां गंगा की पुत्री है और प्रतिवर्ष अपने मां गंगा से मिलने के लिये इस क्षेत्र से होकर प्रचंड वेग में जाती है इस लिये यहां बाढ स्वाभाविक है. वहीं सीएम नितिश कुमार बाढ प्रभावित इस क्षेत्र के लोगों की मदद कर राजनितिक समर्थन प्राप्त करने में सफल रहे हैं और 13 में से 8 सीटों पर कब्जा किये थे.
सुपौल, सहरसा और मधेपुरा इन तीनों जिलों में 13 विधानसभा क्षेत्र जिसमें सुपौल में पांच, मधेपुरा में चार और सहरसा में चार विधानसभा क्षेत्र हैं. बाढ प्रभावित इस क्षेत्र में जदयु को बढत मिलती रही है. इनमें मधेपुरा को यादवों का गढ कहा जाता है. पुरानी कहावत है कि रोम पोप का मधेपुरा गोप का है. कभी शरद यादव, लालू यादव भी यहां से दो-दो हाथ किया करते थे. कोशी(कौशिकी) नदी से तीनो जिले बाढ प्रभावित हैं और तकरीबन हर साल बाढ की चपेट में आते हैं. यही बाढ मुख्यमंत्री नितिश कुमार के लिये राजनीतिक लाभ और जनसमर्थन का कारण भी बना है. नीतीश समेत एनडीए यहां के लोगों को यह समझाने में सफल रही है कि बाढ का कारण नेपाल से आ रही नदियां हैं न कि बिहार सरकार की लापरवाही. इसलिये बाढ तो कम या ज्यादा हर साल आयेगी लेकिन एनडीए सरकार किसी भी प्रकार की मदद में कोताही नहीं बरतेगी.
कोशी में एनडीए और राजद में सीधी टक्कर होती रही है और अक्सर एनडीए बाजी मारती रही है वर्ष 2020 के चुनावों में एनडीए ने 13 में से 10 सीटें जीती थीं जिसमें 8 जदयु और 2 भाजपा ने जीती थी. राजद को तीन सीटें मिली थीं. इस क्षेत्र में नितिश कर सोशल इंजीनियरिंग का ही कमाल है कि यादव, दलितों ,पिछडों वोटरों की अच्छी खासी संख्या होने के बाद भी जदयु बाजी मारती रही है. यहां मुस्लिम आबादी 10-12 प्रतिशत आंकी गयी है. कभी लालू राबडी का गढ रहा कोशी प्रमंडल 15 सालों से जदयु और नीतीश का गढ है. राजद के इस किले को ढहाने में स्व. शरद यादव का अहम रोल रहा था. इस बार भी कोशी प्रमंडल में एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधी टक्कर है, और संभव है कि नितिश कुमार एनडीए संग फिर से बाजी मार ले जायें.
