Patna: अब राज्य में सभी तरह के खाद्य एवं पेय पदार्थों की ऑन स्पॉट जांच की सुविधा शुरू होने जा रही है. इस लैब की मदद से ऑन स्पॉट टेस्टिंग पर भी काम कर रही है. अभी राजधानी पटना, भागलपुर और पूर्णिया में फूड टेस्टिंग वैन चलाई गई है. ये वैन बाजार से सैंपल लेकर ऑन स्पॉट टेस्टिंग करते हैं. सरकार जल्द ही प्रदेश के हर जिले में चलंत टेस्टिंग वैन की सुविधा शुरू होने जा रही है.
पटना में राज्य का पहला माइक्रोबायोलॉजी लैब सुचारू तरीके से काम करने लगा है. यहां दूध, दही, मिठाई, मांस, मछली, पानी समेत अन्य किसी तरह के खाद्य पदार्थों की जांच कराकर इसकी असलियत का पता लगाया जा सकता है. यहां आम लोग भी किसी तरह के खाद्य पदार्थ में मिलावट की जांच करवा सकते हैं.
45 साल पुराना है ये लैब
शहर के अगमकुआं में बने इस फूड और ड्रग टेस्टिंग लैब को बनाया गया है. ऐसे तो यह लैब 1980 से काम कर रहा है. परंतु अभी यहां माइक्रोबायोलॉजी और एडवांस टेक्नोलॉजी के उच्च स्तरीय उपकरण अनुभाग की शुरुआत की गई है. यह राज्य का एक मात्र आधुनिक तकनीकों से लैस विश्व स्तरीय खाद्य प्रयोगशाला है. इस प्रभाग के शुरू होने से पहले तक यहां सिर्फ केमिकल टेस्टिंग होती थी. अब इसमें माइक्रोबायोलॉजी और एडवांस टेक्नोलॉजी आधारित जांच शुरू हो गई है. इसे नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड (NABL) और भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) से भी मान्यता मिल चुकी है.
तीन तरह की जांच होगी
• हाईटेक मशीनों से जांच – एडवांस मशीनों से खाने की चीजों में मिलावट और हानिकारक तत्वों की पहचान.
• बैक्टीरिया और माइक्रोब्स की जांच – दूध, मांस, मछली और पानी में मौजूद बैक्टीरिया की सही पहचान
• केमिकल टेस्टिंग – खाने-पीने की चीजों में केमिकल और जहरीले पदार्थों की जांच.
6 करोड़ की लागत से तैयार हुई यह लैब
इस लैब को राज्य सरकार और FSSAI ने संयुक्त रूप से 6 करोड़ रुपये खर्च कर अपग्रेड किया है. लैब में गैस क्रोमाटोग्राफी मास स्पेक्ट्रोमेटरी (जीसी-एमएसएमएस) की मदद से खाने में कीटनाशकों और फैट की जांच होती है. लिक्विड क्रोमाटोग्राफी मास स्पेक्ट्रोमेटरी (एलसी-एमएसएमएस) खाने में एंटीबायोटिक्स, हानिकारक रंग और जहरीले पदार्थ की जांच कर सकते हैं. इंडक्टिवली कपल्ड प्लाजमा मास स्पेक्ट्रोमेटरी (आईसीपी-एमएस) की मदद से खाने में लेड, कैडमियम जैसे भारी धातुओं की पहचान की जा सकती है.
