Patna: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बुधवार को 1 अणे मार्ग स्थित ‘संकल्प’ से वर्ष 2025 में बाढ़ से प्रभावित परिवारों को डीबीटी के माध्यम से सीधे उनके बैंक खाता में 7000 रूपये प्रति परिवार की दर से आनुग्रहिक राहत की राशि के भुगतान का शुभारम्भ किया. आज 12 जिलों के 6 लाख 51 हजार 602 प्रभावित परिवारों को 7000 रुपये प्रति परिवार की दर से 456 करोड़ 12 लाख रुपये का भुगतान किया गया.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने 13 अगस्त को बाढ़ प्रभावित जिलों के साथ समीक्षा बैठक की थी और 14 अगस्त को पटना, वैशाली, बेगूसराय एवं मुंगेर जिलों के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण कर स्थिति को देखा था. हमने अधिकारियों को बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत एवं बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चलाने का निदेश दिया था. साथ ही 20 अगस्त 2025 तक बाढ़ प्रभावित परिवारों को आनुग्रहिक राहत की राशि का भुगतान शुरू करने का भी निदेश दिया था. उन्होंने कहा कि आप सभी लोगों ने बाढ़ से निपटने में बहुत अच्छा काम किया है लेकिन हम आप सभी से कहना चाहेंगे कि बाढ़ का समय अभी समाप्त नहीं हुआ है. सितम्बर महीने में भी भारी वर्षा और नदियों के जलस्तर में वृद्धि होती है. कभी-कभी बाढ़ भी आ जाती है इसलिए आप लोग पूरे तौर पर सतर्क रहिये और स्थिति पर नजर रखिये. बाढ़ जैसी स्थिति आने पर पीड़ित लोगों की पूरी संवेदनशीता के साथ मदद कीजिये. मेरा शुरू से मानना रहा है कि राज्य के खजाने पर आपदा पीड़ितों का पहला अधिकार है.

गंगा नदी के जलस्तर बढ़ने व पड़ोसी राज्यो में भारी वर्षा से बाढ़ की स्थिति

कार्यक्रम के दौरान विकास आयुक्त सह आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव ने जानकारी देते हुए बताया कि अगस्त माह में गंगा नदी के जलस्तर में अत्यधिक वृद्धि के कारण गंगा के किनारे स्थित 11 जिलों यथा भोजपुर, पटना, सारण, वैशाली, समस्तीपुर, बेगूसराय, लखीसराय, मुंगेर, खगड़िया, भागलपुर एवं कटिहार में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई. इससे पहले पड़ोसी राज्य में भारी वर्षा के कारण नालन्दा जिला के 4 प्रखण्डों के 8 पंचायतों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गयी थी. इस प्रकार कुल 12 जिलों के 66 प्रखण्डों में लगभग 38 लाख आबादी बाढ़ प्रभावित हुई है. बाढ़ के दौरान अब तक 2.19 लाख पॉलीथीन शीट्स तथा 57 हजार 639 ड्राई राशन पैकेट वितरित की गई. 14 बाढ़ राहत शिविर चलाए जा रहे हैं, जिसमें लगभग 15 हजार लोग रह रहे हैं. सामुदायिक रसोई केंद्र में अब तक लगभग 85 लाख लोग भोजन कर चुके हैं. शिविरों में मानव एवं पशु चिकित्सा के लिए भी सभी इंतजाम किए गए हैं.

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