Patna: बिहार में नीतीश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जीविका आज महिलाओं की जिंदगी बदलने वाली बड़ी पहल बन गई है. ग्रामीण विकास विभाग की इस योजना ने गांव-गांव में महिलाओं के बीच आत्मनिर्भरता का नया माहौल बनाया है. आंकड़े बताते हैं कि अब तक 11 लाख से ज्यादा महिला स्वयं सहायता समूह गठित किए जा चुके हैं. इन समूहों से 1 करोड़ 40 लाख से अधिक गरीब परिवार जुड़े हैं. इसका मकसद साफ है गांव की महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक और तकनीकी रूप से मजबूत बनाना ताकि वे खुद अपने पैरों पर खड़ी हो सकें. योजना के तहत 73,510 ग्राम संगठन और 1,680 संकुल स्तरीय संघ बनाए गए हैं. यहां महिलाएं न सिर्फ बचत करना सीख रही हैं, बल्कि अपने छोटे-बड़े कारोबार भी शुरू कर रही हैं. सिलाई-कढ़ाई, दुकानदारी, डेयरी, खेती और कई तरह के काम आज इन समूहों की महिलाएं कर रही हैं.
बैंकों का सहयोग भी इस योजना में अहम है. अब तक 10.63 लाख स्वयं सहायता समूहों के बचत खाते खोले गए हैं. इन खातों से जुड़कर समूहों को 57,186 करोड़ रुपये का ऋण उपलब्ध कराया गया है. इससे महिलाएं साहूकारों और बिचौलियों के चंगुल से बच रही हैं और सीधे बैंक से सस्ती दर पर लोन ले रही हैं. गांव-गांव में 6,393 बैंक सखी (बैंकर दीदी) महिलाओं को वित्तीय उत्पादों और बैंकिंग सुविधाओं के बारे में जागरूक कर रही हैं. 83.35 लाख से अधिक सदस्य बीमा सुरक्षा से भी जुड़ चुकी हैं, जिससे उन्हें किसी भी आपात स्थिति में आर्थिक सहारा मिलता है.
योजना का असर सिर्फ आर्थिक क्षेत्र तक सीमित नहीं है. ग्राम संगठन स्तर पर महिलाओं को नेतृत्व की ट्रेनिंग दी जा रही है. आज कई महिलाएं पंचायत स्तर पर फैसले लेने में भागीदार हैं. बिहार के गांवों में महिलाओं का यह सशक्तिकरण आने वाले समय में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा देगा.

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