Ranchi: लिकर स्कैम केस में उत्पाद विभाग के तत्कालीन सचिव विनय कुमार चौबे और संयुक्त सचिव गजेंद्र सिंह सहित कई के ठिकाने पर ईडी ने दबिश दी है. झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान मंगलवार को सुबह को झारखंड के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विनय चौबे, उत्पाद विभाग के संयुक्त सचिव गजेंद्र सिंह समेत अन्य करीबी रिश्तेदार और संबंधित अधिकारियों के सीए के ठिकानों पर छापा मारा है. ये कार्रवाई शराब घोटाले मामले में की गयी है. दोनों अफसरों से ईडी छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में पहले पूछताछ कर चुकी है.
लिकर स्कैम केस में IAS विनय कुमार चौबे और पूर्व संयुक्त आयुक्त आबकारी गजेंद्र सिंह पर छत्तीसगढ़ में दर्ज है FIR
छत्तीसगढ़ लिकर स्कैम केस में झारखंड के IAS विनय कुमार चौबे और पूर्व संयुक्त आयुक्त आबकारी गजेंद्र सिंह पर FIR दर्ज है. बीते माह रायपुर EOW ने धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र रचने की धाराओं में झारखंड आईएएस विनय कुमार चौबे, उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह, छत्तीसगढ़ के रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा के अलावा झारखंड में शराब आपूर्ति, मैनपावर और होलोग्राम बनाने वाली कंपनियों को भी आरोपी बनाया गया है. यह एफआईआर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018, धारा 420, 120 बी के तहत दर्ज की गई है. आरोप है कि अफसरों ने भ्रष्टाचार किया और राज्य सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाया है. एफआईआर में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में शराब कारोबार के जरिए अवैध कमाई करने वाले सिंडिकेट से कथित तौर पर जुड़े रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा, अनवर ढबेर समेत अन्य ने झारखंड में भी कारोबार के लिए जनवरी 2022 में विनय कुमार चौबे समेत झारखंड के आबकारी अफसरों के साथ मिलकर शराब बिक्री का नियम बनवाया. छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन के एमडी अरुणपति त्रिपाठी को झारखंड में कंसल्टेंट बनाया गया
त्रिपाठी को 1.25 करोड़ का भुगतान झारखंड ने किया. विनय चौबे, गजेंद्र सिंह ने सिंडिकेट को लाभ दिखाने के लिए मदिरा सप्लाई एजेंसी और प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए निविदा शर्त में 100 करोड़ के टर्नओवर की शर्त डाली. शराब सिंडिकेट की आपराधिक साजिश के कारण झारखंड को 2022-23 में राजस्व का भारी नुकसान हुआ. एसीबी छत्तीसगढ़ में शिकायत के बाद हुई शुरुआती जांच में पाया है कि नियम में फेरबदल कर शराब कंपनियों से करोड़ों का कमीशन लिया गया. पूर्व में जांच के दौरान सिद्धार्थ सिंघानिया नाम के कारोबारी के कब्जे में डायरी मिली थी. इस डायरी में छत्तीसगढ़ की तरह झारखंड में शराब कारोबार में कब्जे की योजना दर्ज थी.