Gaya: बिहार लोक प्रशासन और ग्रामीण विकास संस्थान (BIPARD) गया में मंगलवार को एक दिवसीय ‘मिशन कर्मयोगी कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया. यह कार्यशाला क्षमता निर्माण आयोग (CBC) के तत्वाधान में आयोजित की गई, जिसमें केंद्रीय सरकार, केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थानों, राज्य प्रशिक्षण संस्थानों और 17 राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों सहित 57 प्रतिनिधियों ने भाग लिया. कार्यशाला का उद्घाटन और अध्यक्षता क्षमता निर्माण आयोग के अध्यक्ष अदिल जैनुलभाई ने की. प्रमुख अतिथियों में डॉ. आर. बालासुब्रमण्यम, सदस्य, CBC, और डॉ. अलका मित्तल, सदस्य, CBC शामिल थे. तमिलनाडु के अपर मुख्य सचिव विक्रम कपूर, बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव और BIPARD के महानिदेशक के के पाठक, और बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव बी. राजेन्द्र सहित कई वरिष्ठ अधिकारी भी इस कार्यशाला में उपस्थित थे.
कार्यशाला में विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श किया गया, जिसमें राज्यों और प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थानों के लिए मिशन कर्मयोगी, क्षमता निर्माण और नीतिगत योजना, शहरी स्थानीय निकायों और पंचायतों के साथ काम करना, कर्मयोगी दक्षता मॉडल, IGOT और डिजिटल लर्निंग के लिए पाठ्यक्रम निर्माण, और बड़े पैमाने पर नागरिक उन्मुख प्रशिक्षण कार्यक्रमों की योजना जैसे विषय शामिल थे. इसके अतिरिक्त, कई प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थानों ने अपने अनुभव, फीडबैंक और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू करने में आने वाली चुनौतियों को साझा किया. मिशन कर्मयोगी, जो प्रधानमंत्री द्वारा कल्पित एक दूरदर्शी पहल है, का उद्देश्य सिविल सेवकों को नियम-आधारित से भूमिका आधारित सार्वजनिक सेवा प्रदान करने के दृष्टिकोण में परिवर्तन करना है. यह कुशल, नागरिक केंद्रित शासन सुनिश्चित करने और निस्तर सीखने की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कौशल निर्माण पर जोर देता है.
यह कार्यशाला आपसी सीख, अनुभव साझा करने, और प्रशिक्षण और विकास की बेहतर रणनीतियों की योजना बनाने के लिए एक अमूल्य मंच साबित हुई. इसने बिहार की उस प्रगति को भी उजागर किया, जिसने हाल ही में IGOT मिशन कर्मयोगी पंजीकरण में देश में पहला स्थान प्राप्त किया है. यह उपलब्धि क्षमता निर्माण और नवाचारी प्रशिक्षण पहलों के माध्यम से शासन को मजबूत करने की राज्य की प्रतिबद्धता को दर्शाती है.
इस कार्यशाला के आयोजन में BIPARD की भूमिका राज्यों और प्रशिक्षण संस्थानों के बीच सहयोग और ज्ञान आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है.