Patna: बिहार के 1 लाख 15 हजार 9 आंगनबाड़ी केन्द्रों में नामांकित 3 से 6 वर्ष के लगभग 52 लाख बच्चों को प्रतिवर्ष अब दो सेट पोशाक मिलेगा. जीविका दीदियों के माध्यम से आंगनबाड़ी केन्द्रों के बच्चों को पोशाक मुहैया कराने के लिए दो विभागों के बीच मंगलवार को ऐतिहासिक समझौता हुआ. पटना के होटल मौर्या में बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति (जीविका) एवं समेकित बाल विकास सेवा (आईसीडीएस), समाज कल्याण विभाग के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुआ. जीविका के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी हिमांशु शर्मा और समेकित बाल विकास सेवा के निदेशक अमित कुमार पाण्डेय के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किया गया.
इस मौके पर ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि राज्य के सभी 534 ब्लॉक के पुराने भवनों में 100 मशीन का सेंटर खोला जाएगा. उन्होंने कहा कि वर्ष 2006 से लेकर अबतक राज्य में 20 लाख जीविका की दीदियां लखपति दीदी बन चुकी हैं. उनकी आमदनी में इजाफा हुआ है. अभी राज्य में 48 हजार 232 महिलाओं के पास अपनी सिलाई मशीन है जबकि 92 हजार 608 सिलाई मशीनों पर महिलाएं काम कर रही हैं.
वहीं, समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने कहा कि हमें उस दिन का इंतजार है, जिस दिन जीविका दीदियां एक लाख मीटर से अधिक कपड़ों का इस्तेमाल करेंगी. और बच्चों के लिए पोशाक बनाएंगी. उन्होंने कहा कि एक लाख से अधिक सेविका और सहायिका की साड़ी के लिए हम जीविका दीदियों को लगाएंगे.
इसके साथ ही एक बड़ा सुधार हुआ है कि अब सेंटर पर खिचड़ी की जगह मेन्यू के मुताबिक अलग-अलग भोजन मिलता है. मुझे उस दिन का इंतजार है, जिसदिन जीविका दीदियों के हाथ से सिले पोशाक पहनकर बच्चे आंगनबाड़ी केन्द्रों पर जाएंगे.
बच्चों को मिलेंगे समर और विंटर सेट कपड़े
वहीं, समाज कल्याण विभाग की सचिव बंदना प्रेयषी ने कहा कि पहले विभाग की ओर से बच्चों को पोशाक के लिए 250 रुपये दिए जाते थे. इसे बढ़ाकर 400 रुपये किया गया. इसके बावजूद बच्चों लाभ नहीं पाता था. इसलिए तय किया कि अब इन्हें जीविका दीदियां पोशाक सीलकर देंगी. सरकार के इस फैसले से आंगनबाड़ी केन्द्र का लुक बदल जाएगा. अब बच्चों को समर और विंटर सेट कपड़े मिलेंगे. साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी.
पोशाक सिलाई का काम करेगी जीविका दीदी
वहीं, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने कहा कि बच्चों के लिए पोशाक सिलाई का काम जीविका दीदियां करेंगी तो उनका आर्थिक सशक्तीकरण होगा. 200 करोड़ से अधिक का टर्नओवर होगा. यही नहीं, उन्हें अगर किसी तरह की राशि की कमी होगी तो जीविका दीदियों के बैंक से भी ऋण ले सकती हैं. इससे डोर स्टेप रोजगार मिलने लगेगा.
