Patna: बिहार के किसान अब अपने खेतों की मिट्टी जांच करवा उसकी सेहत की सही जानकारी ले रहे हैं. विगत वित्तीय वर्ष में ही लाखों किसानों ने अपने खेतों की मिट्टी की जांच करवाई है. इससे पता चलता है कि बिहार के किसान अब काफी जागरूक हो चुके हैं और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर खेती कर रहे हैं.
मिट्टी की जांच करवा कर किसान जानकारी ले रहे हैं कि उनके खेत की मिट्टी में किस तरह के पोषक तत्व हैं. इसमें किस फसल की खेती बेहतर उपज दे सकती है. मिट्टी में जिन पोषक तत्वों की कमी परिलक्षित होती है उसकी पूर्ति के लिए वे उर्वरक की अनुशंसित मात्रा का इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे किसान अपने खेत में पहले से अधिक उत्पादन कम लागत में करने में कामयाब हो रहे हैं.

जांच के लिए जांच प्रयोगशाला, रेफरल प्रयोगशाला, चलंत मिट्टी जांच प्रयोगशाला की सुविधा

बिहार सरकार ने मिट्टी जांच के लिए मिट्टी जांच प्रयोगशाला, रेफरल प्रयोगशाला, चलंत मिट्टी जांच प्रयोगशाला आदि बनाई है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता योजना अंतर्गत राज्य के विभिन्न गांवों से 5 लाख मिट्टी नमूनों के संग्रहण, विश्लेषण का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. इस लक्ष्य को पूरा करते हुए करीब 5 लाख मिट्टी नमूनों का विश्लेषण किया गया जो कि बड़ी उपलब्धि है.

सभी 38 जिलों में हो रही मिट्टी की जांच

किसान के खेतों की मिट्टी के नमूनों की मुफ्त जांच के लिए राज्य के 38 जिलों में जिला स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं एवं प्रत्येक प्रमंडल में एक-एक अर्थात कुल 9 चलंत मिट्टी जांच प्रयोगशाला कार्यरत हैं. साथ ही, ग्राम स्तर पर 72 मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं भी काम कर रही हैं. वित्तीय वर्ष 2023-24 में तीन तथा वित्तीय वर्ष 2024-25 में ग्यारह अनुमंडल स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशालाओं की स्थापना राज्य के विभिन्न जिलों के अनुमंडलों में की गई है. इसके अलावे कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केन्द्रों के स्तर से संचालित मिट्टी जांच प्रयोगशाला में भी मिट्टी के नमूनों की जांच की जाती है.

प्रयोगशालाओं में 12 पैमाने का विश्लेषण

राज्य सरकार की सभी मिट्टी जांच प्रयोगशालाओं में 12 पैमानों मसलन पीएच मानक, ईसी, पोटाश, नाइट्रोजन, सोडियम, जिंक, कॉपर, मैगनेशियम, लोहा समेत अन्य तत्वों की मिट्टी में मौजूदगी का विश्लेषण किया जाता है. नमूना लेने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से सॉफ्टवेयर आधारित नमूना संग्रहण की प्रक्रिया अपनाई जाती है. कृषि विभाग के कर्मी खेत पर जाकर किसान के प्लॉट का फोटो तथा अक्षांश एवं देशान्तर के साथ किसान का पूरा पता एवं ब्यौरा ऐप पर अपलोड करते हैं.

मोबाइल पर मिल रहा मृदा स्वास्थ्य कार्ड

मिट्टी नमूनों की जांच के बाद कृषकों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराने में लगने वाले समय को कम करने के उद्देश्य से किसानों को उनके मोबाइल पर भी डिजिटल मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराया जा रहा है. जांच की गुणवत्ता का अनुश्रवण करने के लिए केन्द्रीय मिट्टी जांच प्रयोगशाला के अतिरिक्त राज्य में अवस्थित दोनों कृषि विश्वविद्यालय की मिट्टी जांच प्रयोगशालाओं को रेफरल प्रयोगशाला के रूप में अधिसूचित किया गया है.

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