Patna: टीबी को जड़ से समाप्त करने की मुहिम में इस वित्तीय वर्ष में अभी तक राजधानी पटना में करीब चार करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है. यह राशि टीबी मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत पोषण सहायता के लिए सीधे उनके खातों में भेजा गया है. बाकी की राशि भी टीबी रोगियों के खातों में नियमित रूप से भेजी जाएगी. सिविल सर्जन डॉ. अविनाश कुमार सिंह ने बताया कि टीबी के मरीजों को एक हजार रुपए प्रतिमाह के हिसाब से छह महीने तक पोषण सहायता राशि दी जा रही है. मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंस (एमडीआर) के मरीजों को जरूरत के अनुसार यह राशि अधिक दी जा रही है. उन्होंने बताया कि अस्पतालों में मरीजों को शत-प्रतिशत दवाएं उपलब्ध कराई जा रहीं हैं. इसकी वजह से जिले में टीबी मरीजों की रिवकरी रेट काफी अच्छी हो गई है.

बी-पाल रेजिमेन विधि से एमडीआर के 160 मरीजों का इलाज

सिविल सर्जन ने बताया कि एमडीआर के मरीजों को छह महीने में ठीक करने के उद्देश्य से इस साल के मई में बी-पाल रेजिमेन विधि से इलाज शुरू किया गया. राजधानी में करीब 160 मरीजों का इस नए पद्धति से इलाज किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि टीबी के जो मरीज बीच में दवा का सेवन छोड़ देते हैं वह एमडीआर के श्रेणी में आते हैं.

साथ ही एमडीआर वाले मरीजों के संपर्क में आने पर भी पीड़ित एमडीआर वाले मरीज की श्रेणी में आ जाता है. इन मरीजों के इलाज में पहले 18 महीने का समय लगता था। अब नए पद्धति बी-पाल रेजिमेन  दवा के डोज के साथ ही मरीज के ठीक होने में भी मात्र छह महीने का समय लगेगा. उन्होंने बताया कि जिन एमडीआर के मरीजों की नए पद्धति से इलाज शुरू किया गया है, उनकी रिकवरी रेट भी काफी अच्छी है.

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